अतिरिक्त >> आठ दिन आठ दिनसुरेन्द्र मोहन पाठक
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सस्ते, खुरदुरे कागज में...
विकास गुप्ता ठग था। उसका कारोबार ठगी करना था जिसे वो हमेशा पूरी कामयाबी से, निहायत खूबसूरती से अंजाम देता था। कत्ल से उसका क्या वास्ता ? लेकिन वो वास्ता बना और खामखाह उसके गले पड़ा जब उसने अपनी आँखों के सामने एक कत्ल होते देखा।
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